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सोमवार, 30 दिसंबर 2024

"फ्यूचर प्लांट्स" प्रोजेक्ट (Plants for the Future): यूरोपीय संघ की एक प्रमुख पहल जिसमें यूरोपीय प्रौद्योगिकी मंच (ETP) के तहत संचालित कृषि, स्थिरता और नवाचार से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान

"फ्यूचर प्लांट्स" प्रोजेक्ट (Plants for the Future): यूरोपीय संघ की एक प्रमुख पहल जिसमें यूरोपीय प्रौद्योगिकी मंच (ETP) के तहत संचालित कृषि, स्थिरता और नवाचार से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान



"हमारा लक्ष्य अर्थव्यवस्था को हमारे ग्रह के साथ सामंजस्य बिठाना है, जिस तरह से हम उत्पादन करते हैं और जिस तरह से हम उपभोग करते हैं उसे हमारे ग्रह के साथ सामंजस्य बिठाना है और इसे हमारे लोगों के लिए काम करने योग्य बनाना है।"-यूरोपीय प्रौद्योगिकी मंच (ETP) 

इस वैश्विक अनिवार्यता को संबोधित करने के लिए, यूरोपीय संघ ग्रीन डील का उद्देश्य आर्थिक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करते हुए यूरोप को स्थिरता में एक विश्व नेता में बदलना है। कृषि क्षेत्र में, फ़ार्म टू फ़ोर्क और जैव विविधता रणनीतियाँ ग्रहीय सीमाओं का सम्मान करते हुए और मिट्टी, पानी, हवा और जैव विविधता की रक्षा करते हुए खाद्य, चारा और जैव आधारित कच्चे माल की उपभोक्ता ज़रूरतों को पूरा करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्रदान करती हैं। ग्रीन डील के लक्ष्य तभी प्राप्त किए जा सकते हैं जब आवश्यक हस्तक्षेप अत्यधिक जटिल सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों के साथ मिलकर काम करें। इससे नए व्यवसायिक अवसर और नवाचार, नई नौकरियाँ और नए कृषि और व्यवसाय मॉडल के लिए जगह भी पैदा होगी।

परियोजना के लक्ष्य निम्नलिखित हैं:

  • एक दृष्टिकोण विकसित करना

कृषि मूल्य श्रृंखलाओं की चुनौतियों और अवसरों पर विचार करना, तथा भविष्य की प्रणालियों के लिए एक दृष्टिकोण विकसित करना   

  • समर्पित बजट की वकालत

सार्वजनिक-निजी सहयोग के माध्यम से संयंत्र नवाचार के लिए एक समर्पित बजट के आवंटन का समर्थन करना   

यह परियोजना संयंत्र क्षेत्र के हितधारकों को इन चुनौतियों और अवसरों पर समग्र रूप से विचार करने के लिए एक साथ लाती है। 


शिक्षा:  

एक समृद्ध संयंत्र क्षेत्र के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण, कौशल उन्नयन, निरंतर सीखने और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देना

प्लांट सेक्टर के लिए उत्पादक और टिकाऊ कृषि प्रणालियों में योगदान देने और फलने-फूलने के लिए एक कुशल और अच्छी तरह से प्रशिक्षित कार्यबल आवश्यक है। प्लांट वैज्ञानिकों, प्रजनकों, किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं आदि की अगली पीढ़ी को तेजी से बदलते वातावरण, उपभोक्ता वरीयताओं और राजनीतिक ढाँचों पर प्रतिक्रिया करने के लिए ज्ञान, उद्यमशीलता और लचीलेपन की एक अनूठी डिग्री की आवश्यकता है। प्लांट सेक्टर के लिए उचित रूप से योग्य और कुशल कार्यबल सुनिश्चित करना टिकाऊ कृषि प्रणालियों की ओर संक्रमण और यूरोपीय संघ के ग्रीन डील लक्ष्यों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

अनुसंधान: 

यूरोपीय पादप विज्ञान के लिए बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान अधिक टिकाऊ कृषि प्रणालियों की ओर संक्रमण में योगदान करने के लिए आवश्यक हैं। शोध निष्कर्षों के प्रभाव और मूल्य को बढ़ाने के लिए, यह आवश्यक है कि अनुसंधान का उद्देश्य वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए समाधान प्रदान करना हो, जबकि कृषि प्रणालियों और मूल्य श्रृंखलाओं से संबंधित अंतर-निर्भरता और जटिलताओं पर विचार किया जाए। प्लांट ईटीपी सार्वजनिक और निजी अनुसंधान के साथ-साथ कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में अभिनेताओं को एक साथ लाकर अनुसंधान और सुधार का समर्थन करता है, ताकि अनुसंधान के उपयोग मूल्य और बाजार में नवाचार के प्रवाह में सुधार हो सके।

नवाचार:  

बाजार में नवाचार के प्रवाह को बढ़ावा देना

प्लांट ईटीपी चुनौतियों और समाधानों की पहचान करके तथा विज्ञान आधारित निर्णय लेने और नवाचार-अनुकूल नीति वातावरण की वकालत करके बाजार में नवाचार के प्रवाह को बढ़ावा देता है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि नए सिरे से किए गए शोध से प्राप्त भविष्य के नवाचारों को बाजार में लाने में, कुछ मामलों में, 20-30 साल तक का समय लग सकता है। इसलिए यह विचार करना आवश्यक है कि समय के साथ बाजार की ज़रूरतें कैसे बदलेंगी, और यूरोपीय संघ के ग्रीन डील लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक लक्ष्यों का समर्थन करने वाली कार्रवाइयों का सह-अस्तित्व होना चाहिए।

खास तौर पर फार्म टू फोर्क और जैव विविधता रणनीतियों के 2030 के लक्ष्यों को ज्यादातर अल्पावधि और मध्यम अवधि में उन नवाचारों द्वारा संबोधित किया जाएगा जो पहले से ही विकास के अधीन हैं। ये कार्य अक्सर बाजार में पहले से मौजूद या आरएंडडी पाइपलाइन में मौजूद चीजों को फिर से स्थापित करने या उनका पुनः उपयोग करने से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। हालांकि, 2050 के लक्ष्य अधिक सख्त होने की उम्मीद है और इसके लिए नए सिरे से नवाचार की आवश्यकता होगी।

आज ऐसे नवाचार के लिए मार्ग तैयार करने के लिए, यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि 2030 के बाद यूरोप में, तथा इसके बाहर भी, भविष्य की कृषि प्रणालियाँ किस प्रकार विकसित होंगी।

प्लांट ईटीपी ने क्रॉपबूस्टर-पी कंसोर्टियम के साझेदारों के साथ मिलकर इस मामले पर एक राय पत्र प्रकाशित किया: "कल की दुनिया के लिए जैव प्रौद्योगिकी: भविष्य के नवाचार के लिए दिशा-निर्देश देने वाले परिदृश्य" ( कॉर्नेलिसन एट अल., 2020 )

"फ्यूचर प्लांट्स" प्रोजेक्ट (Plants for the Future) यूरोपीय संघ की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य कृषि, स्थिरता और नवाचार से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करना है। यह पहल यूरोपीय प्रौद्योगिकी मंच (ETP) के तहत संचालित होती है और इसमें अकादमिक संस्थान, उद्योग, किसान और नीति-निर्माता शामिल होते हैं।

मुख्य उद्देश्य:

  1. खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता:
    सस्ती, स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना ताकि बढ़ती वैश्विक जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

  2. स्थिरता:
    पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना और ऐसे फसल विकसित करना जो कम पानी, उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन का सामना कर सकें।

  3. जैव-आर्थिकी (Bio-economy) का विकास:
    जीवाश्म-आधारित संसाधनों की जगह जैव-आधारित (पौधों से प्राप्त) संसाधनों का उपयोग करना, जैसे बायोफ्यूल, बायोप्लास्टिक और अन्य जैव उत्पाद।

  4. अनुसंधान और नवाचार:
    आनुवंशिकी, जैव-सूचना विज्ञान (bioinformatics), कृषि विज्ञान और उन्नत पौध प्रजनन तकनीकों पर आधारित 20-वर्षीय रणनीतिक अनुसंधान एजेंडा विकसित करना।


अनुसंधान और रणनीतिक क्रियाएँ:

  • आनुवंशिकी और तनाव प्रतिरोध:
    ऐसी फसलें विकसित करना जो सूखा, गर्मी और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर सकें।

  • सतत कृषि:
    मिट्टी की गुणवत्ता और जैव विविधता में सुधार कर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना।

  • नवाचार समर्थन:
    सार्वजनिक और निजी भागीदारी, बौद्धिक संपदा (IP) प्रबंधन, वित्त पोषण और तकनीकी हस्तांतरण के लिए बेहतर ढांचे की स्थापना।

  • बाज़ार एकीकरण:
    नए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के लिए नियमों को सरल बनाना और उनके बाज़ार में प्रवेश की प्रक्रिया को तेज़ करना।


सहयोग और क्रियान्वयन:

  • यह मंच लघु-, मध्यम- और दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करता है और पौध उत्पादन श्रृंखला में किसानों, शोधकर्ताओं और उपभोक्ताओं को जोड़ता है।
  • यूरोपीय संघ की पौध जैव प्रौद्योगिकी में प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने की दिशा में भी यह कार्यरत है।

निष्कर्ष:

"फ्यूचर प्लांट्स" प्रोजेक्ट यूरोपीय संघ की स्थायी जैव-आर्थिकी (sustainable bio-economy) के निर्माण और कृषि अनुसंधान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्लांट्स फॉर द फ्यूचर ईटीपी (प्लांट ईटीपी) एक बहु-हितधारक मंच है जो मौलिक अनुसंधान से लेकर फसल उत्पादन और वितरण तक प्लांट सेक्टर का प्रतिनिधित्व करता है। प्लांट ईटीपी प्लांट सेक्टर के हितधारकों को एक साथ लाता है ताकि वे कृषि मूल्य श्रृंखलाओं की चुनौतियों और अवसरों पर समग्र रूप से विचार कर सकें, साथ ही खाद्य, चारा और जैव-आधारित कच्चे माल से जुड़ी भविष्य की प्रणालियों के लिए एक दृष्टिकोण विकसित कर सकें। इस तरह, प्लांट ईटीपी नीति निर्माताओं, अनुसंधान निधि प्रदाताओं, चिकित्सकों और कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में नवप्रवर्तकों के लाभ के लिए आवश्यक अनुसंधान और नवाचार की रणनीतिक दिशा और सिफारिशें प्रदान करता है।

References:  

Plant for the Future - https://www.plantetp.eu/ 

Internet & Google Search pages 

Tag:  #plants #eu #european_union #etp plants_for_the_future  

टिप्पणी:-

आपको हमारा ये लेख कैसा लगा? आप अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणियों द्वारा हमें अवगत जरूर कराएँ। साथ ही हमें किन विषयों पर और लिखना चाहिए या फिर आप लेख में किस तरह की कमी देखते हैं वो जरूर लिखें ताकि हम और सुधार कर सकें। आशा करते हैं कि आप अपनी राय से हमें जरूर अवगत कराएंगे। धन्यवाद !!!!!

लेखक:-

डॉ. प्रदीप सोलंकी 

  " मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ। " - डेसकार्टेस 

विज्ञान शिक्षक, शिक्षाविद, प्राणिविद, पर्यावरणविद, ऐस्ट्रोनोमर, करिअर काउन्सलर, ब्लॉगर, यूट्यूबर, एवं पूर्व सदस्य  टीचर्स हैन्ड्बुक कमिटी सीएम राइज़ स्कूल्स एवं पीएम श्री स्कूल्स परियोजना तथा पर्यावरण शिक्षण समिति, माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल मध्यप्रदेश  

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

Hubert Reeves: एक प्रसिद्ध कनाडाई-फ्रांसीसी खगोलभौतिकीविद्, पर्यावरणविद और लेखक

Hubert Reeves: एक प्रसिद्ध कनाडाई-फ्रांसीसी खगोल-भौतिकविद्, पर्यावरणविद् और लेखक
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Hubert Reeves: एक प्रसिद्ध कनाडाई-फ्रांसीसी खगोलभौतिकविद्, पर्यावरणविद्, और लेखक थे, जिनका जीवन और कार्य मुख्यतः ब्रह्मांड और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध को उजागर करने पर आधारित था। उन्होंने विज्ञान, प्रकृति, और मानवता के संबंधों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया। उनके द्वारा व्यक्त इस उद्धरण में प्रकृति के प्रति मानवता की उपेक्षा और पर्यावरण के विनाश को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।

उद्धरण का उद्देश्य:💐
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1. प्रकृति और धर्म के बीच विरोधाभास: Hubert Reeves इस उद्धरण के माध्यम से यह कहने का प्रयास कर रहे हैं कि मानवता प्रकृति को नष्ट कर रही है, जबकि यह वही प्रकृति है जिसे कई धर्मों में ईश्वर का प्रतीक माना गया है।

2. मानवता की जिम्मेदारी: उनका उद्देश्य मानव जाति को यह याद दिलाना है कि पर्यावरण का विनाश एक गंभीर समस्या है और इसे रोकने के लिए सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

3. आध्यात्मिक चेतावनी: उन्होंने यह संदेश दिया है कि प्रकृति को नष्ट करके हम अपने ही विश्वास और जीवन के मूलभूत सिद्धांतों को कमजोर कर रहे हैं।

Hubert Reeves का जीवन परिचय:💐
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जन्म और प्रारंभिक जीवन: Hubert Reeves का जन्म 13 जुलाई 1932 को मॉन्ट्रियल, कनाडा में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भौतिकी और गणित में हुई, और बाद में उन्होंने खगोलभौतिकी में विशेषज्ञता प्राप्त की।

शैक्षिक योग्यता: उन्होंने मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की डिग्री और मैकगिल विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट किया।

कार्यक्षेत्र:💐
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👍 उन्होंने नासा और फ्रांस की CEA (Commissariat à l'énergie atomique) जैसी संस्थाओं में कार्य किया।

👍 Reeves का मुख्य शोध परमाणु प्रक्रियाओं और ब्रह्मांडीय पदार्थ की उत्पत्ति से संबंधित था।

👍 पर्यावरणवाद: अपने जीवन के बाद के वर्षों में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।

उनके महत्वपूर्ण कार्य:💐
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1. साहित्य और लेखन:😊
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👍 उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जैसे "Patience dans l'Azur" और "L’Univers expliqué à mes petits-enfants", जो ब्रह्मांड और प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हैं।

👍 उनके लेखन का उद्देश्य जटिल वैज्ञानिक विचारों को सरल और सुलभ बनाना था।

2. पर्यावरण संरक्षण:😊
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Hubert Reeves ने पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया और शिक्षा के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया।

3. आध्यात्मिकता और विज्ञान:😊
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उन्होंने यह संदेश दिया कि विज्ञान और आध्यात्मिकता विरोधी नहीं हैं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। उन्होंने प्रकृति के संरक्षण को एक नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी माना।

उनके उद्धरण का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्व: 💐
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👌 Reeves का यह विचार आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि:

👌 जलवायु परिवर्तन: तेजी से बदलते जलवायु और ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रकृति को गंभीर क्षति हो रही है।

👌 पर्यावरणीय विनाश: वनों की कटाई, प्रदूषण, और जैव विविधता के नुकसान के चलते उनका संदेश अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

👌 आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सामंजस्य: यह उद्धरण लोगों को यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि प्रकृति का सम्मान करना हमारी नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी है।

निष्कर्ष:💐
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Hubert Reeves ने मानवता को चेतावनी दी कि अगर हम अपनी प्रकृति को नष्ट करना जारी रखते हैं, तो इसका परिणाम न केवल पर्यावरणीय तबाही होगा बल्कि मानवता की आस्था और अस्तित्व पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा। उनका जीवन और कार्य हमें विज्ञान और पर्यावरण के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करता है।
#hubert_reeves #environment #पर्यावरण
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बुधवार, 11 दिसंबर 2024

लापीस लाजुली (Lapis Lazuli): विस्तृत शोधपरक जानकारी

लापीस लाजुली (Lapis Lazuli) के बारे में विस्तृत शोधपरक जानकारी:

लापीस लाजुली (Lapis Lazuli)
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रासायनिक संरचना:
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- लापीस लाजुली एक बहु-खनिज पत्थर है, जिसमें मुख्यतः लाजुराइट, कैल्साइट, और पाइराइट पाए जाते हैं।

- इसका रासायनिक सूत्र है: (Na, Ca)₈(AlSiO₄)₆(SO₄, S, Cl)₁-₂।

रंग:
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- नीला रंग लाजुराइट खनिज के कारण होता है।

- सुनहरी चमक पाइराइट की उपस्थिति से होती है।

प्राचीन नाम:
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"नीला सोना" या "आसमानी पत्थर"।

इतिहास और व्यापार
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1. अफगानिस्तान में उत्खनन:
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- अफगानिस्तान की बदख्शान खदानें 6000 वर्षों से लापीस लाजुली का प्रमुख स्रोत हैं।

- इसे हड़प्पा, मिस्र, और मेसोपोटामिया सभ्यताओं में ले जाया गया।

2. मेसोपोटामिया और मिस्र में उपयोग:
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- मेसोपोटामिया में इसे शाही सील, आभूषण, और धार्मिक प्रतीकों में इस्तेमाल किया गया।

- मिस्र में लापीस को फिरौन की ममीकरण प्रक्रिया और धार्मिक वस्त्रों में शामिल किया गया।

3. रोमन और यूनानी सभ्यताएँ:
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- लापीस को "सैफायर" नाम से जाना जाता था।

- इसे पाउडर बनाकर औषधि और रंग बनाने में उपयोग किया गया।

4. मध्यकालीन युग:
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यूरोपीय पेंटिंग्स में "अल्ट्रामरीन ब्लू" रंग के लिए लापीस लाजुली का इस्तेमाल किया गया। यह उस समय का सबसे महंगा रंग था।

सांस्कृतिक महत्व
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1. धार्मिक प्रतीक:
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- मिस्र में इसे "स्वर्ग का पत्थर" कहा गया और देवी इशिस के प्रतीकों में इस्तेमाल किया गया।

- हिंदू धर्म में इसे ध्यान और आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है।

2. राजसी महत्व:
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- इसे सम्राटों और राजपरिवारों के आभूषणों में प्रतिष्ठा का प्रतीक माना गया।

भौतिक गुण
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कठोरता:
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मोह्स पैमाने पर कठोरता: 5-5.5।

दीप्तिमानता:
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- मोमी चमक (waxy luster) और हल्की पारदर्शिता।

भंगुरता:
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- यह पत्थर अपेक्षाकृत भंगुर है और आसानी से टूट सकता है।

आधुनिक उपयोग
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1. गहने:
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हार, अंगूठी, कंगन, और झुमके में इसका उपयोग होता है।

2. आध्यात्मिकता:
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इसे ध्यान, योग, और चक्र संतुलन में लाभकारी माना जाता है। यह "थर्ड आई चक्र" को सक्रिय करता है।

3. औषधीय उपयोग:
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क्रिस्टल हीलिंग में यह मानसिक शांति, तनाव में कमी, और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए उपयोगी है।

4. कला और सजावट:
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- सजावटी मूर्तियों और बर्तनों में उपयोग किया जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
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1. खनन और परिक्षण:
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- आधुनिक तकनीकों से इसकी शुद्धता और मूल स्थान की पहचान की जाती है।

- X-ray Diffraction (XRD) और Raman Spectroscopy का उपयोग लाजुराइट और अन्य खनिजों की पहचान में होता है।

2. जियोकेमिकल अध्ययन:
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इसमें मौजूद सल्फर समस्थानिक (sulfur isotope) इसके भौगोलिक स्रोत की पहचान में मदद करता है।

3. पर्यावरणीय प्रभाव:
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लापीस लाजुली की खदानें पर्यावरणीय क्षरण का कारण बन सकती हैं, और आधुनिक खनन प्रक्रियाओं में इसे कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

रोचक तथ्य
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1. रंगद्रव्य निर्माण:
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लापीस लाजुली से बने अल्ट्रामरीन को पुनर्जागरण काल में "सोने से भी महंगा" माना जाता था।

2. ग्रहों का संबंध:
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ज्योतिष में इसे बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है और यह ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

निष्कर्ष
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लापीस लाजुली केवल एक कीमती पत्थर नहीं है, बल्कि यह प्राचीन सभ्यताओं, कला, आध्यात्मिकता, और विज्ञान में अपनी पहचान बना चुका है। इसके ऐतिहासिक महत्व, सांस्कृतिक मूल्य, और वैज्ञानिक अध्ययन इसे विशिष्ट बनाते हैं।

आइये अफगान से लेकर मेसोपोटामिया तक इसके उपयोग का इतिहास कितना पुराना है? शोधपरक जांच रपट के साथ जानने की कोशिश करते हैं।

लापीस लाजुली का इतिहास लगभग 6000 वर्ष पुराना है, जो इसे प्राचीन सभ्यताओं के बीच सबसे प्रतिष्ठित पत्थरों में से एक बनाता है। अफगानिस्तान से लेकर मेसोपोटामिया तक इसके उपयोग और व्यापार का शोधपरक अध्ययन निम्नलिखित है:

1. अफगानिस्तान में लापीस लाजुली का खनन

शोध से पुष्टि:
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अफगानिस्तान की बदख्शान खदानें (Badakhshan Mines) दुनिया में लापीस लाजुली का सबसे प्राचीन और समृद्ध स्रोत हैं।

पुरातात्त्विक प्रमाण दर्शाते हैं कि 4,000 ईसा पूर्व से इन खदानों का खनन किया जा रहा है।

प्रमाण:
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1970 के दशक में पुरातत्त्वविदों ने बदख्शान क्षेत्र में शरीटिगन-ए-सर-ए-संग नामक स्थल की खुदाई के दौरान लापीस लाजुली के उपयोग के प्रमाण खोजे।

2. मेसोपोटामिया में उपयोग (3,300 ईसा पूर्व)

उत्पत्ति और व्यापार:
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लापीस लाजुली को सिल्क रोड के प्राचीन व्यापार मार्ग के माध्यम से मेसोपोटामिया तक पहुँचाया गया।

मेसोपोटामिया के सुमेरियन सभ्यता में इसे "किशिब" नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ था "स्वर्ग से उपहार"।

शोध प्रमाण:
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2600 ईसा पूर्व के उर (Ur) की खुदाई में, रॉयल कब्रों से लापीस लाजुली की मूर्तियाँ और गहने पाए गए।

इन वस्तुओं पर अत्यधिक बारीकी से काम किया गया था, जो इसे राजसी प्रतीक बनाते थे।

3. मिस्र में उपयोग (3,100 ईसा पूर्व)

राजसी महत्व:
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मिस्र के फिरौन और रानियों के आभूषणों में लापीस लाजुली का प्रमुख स्थान था।

इसे तुतनखामुन की ममी के मुखौटे और रानी क्लियोपेट्रा के कॉस्मेटिक पाउडर में भी पाया गया है।

धार्मिक महत्व:
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मिस्र के लोग इसे "आकाश का पत्थर" मानते थे और इसे देवता होरस के प्रतीक के रूप में उपयोग करते थे।

इसकी पाउडर अवस्था को ममीकरण प्रक्रिया में भी उपयोग किया गया।

4. सिंधु घाटी सभ्यता और भारत (2,500 ईसा पूर्व)

व्यापार का विस्तार:

अफगानिस्तान से भारत और सिंधु घाटी सभ्यता (मोहनजोदड़ो और हड़प्पा) तक लापीस लाजुली का व्यापार किया गया।

हड़प्पा की खुदाई में लापीस लाजुली की मनके (beads) और गहने पाए गए, जो इसकी प्राचीनता और महत्व को दर्शाते हैं।

प्रमाण:

भारतीय पुरातात्त्विक विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंधु घाटी के व्यापार मार्गों का एक सिरा बदख्शान की खदानों से जुड़ा था।

5. ग्रीस और रोम का युग (500 ईसा पूर्व से 500 ईस्वी)

औषधीय उपयोग:

ग्रीक चिकित्सकों ने इसे पाउडर बनाकर औषधि के रूप में उपयोग किया। इसे त्वचा की बीमारियों और विषहरण के लिए प्रभावी माना जाता था।

कला और पेंटिंग्स:
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रोमन युग में लापीस लाजुली से बने "अल्ट्रामरीन" रंग का उपयोग भित्ति चित्रों (frescoes) में किया गया।

6. मध्यकालीन यूरोप (1200-1500 ईस्वी)

धार्मिक कला में उपयोग:
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यूरोप में कैथेड्रल की धार्मिक पेंटिंग्स और मूर्तियों के लिए लापीस लाजुली का उपयोग किया गया।

इसकी नीली चमक को "आध्यात्मिकता और पवित्रता" का प्रतीक माना जाता था।

उदाहरण:
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प्रसिद्ध कलाकार लियोनार्डो दा विंची और माइकलएंजेलो ने अपने चित्रों में अल्ट्रामरीन का उपयोग किया।

7. पुरातात्त्विक अनुसंधान और वैज्ञानिक अध्ययन

पुरातात्त्विक खोजें:
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बदख्शान की खदानों और मेसोपोटामिया के स्थलों में लापीस लाजुली से बनी सामग्री की कार्बन डेटिंग ने इसके 6000 वर्षों पुराने इतिहास की पुष्टि की।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
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हाल के शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि बदख्शान का लापीस लाजुली, मेसोपोटामिया, मिस्र, और सिंधु घाटी सभ्यता में पाए गए लापीस लाजुली के स्रोत के साथ मेल खाता है।

इस अध्ययन के लिए Isotope Geochemistry और Neutron Activation Analysis तकनीक का उपयोग किया गया।

8. निष्कर्ष

लापीस लाजुली का अफगानिस्तान से मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु घाटी, और यूरोप तक का सफर मानव इतिहास में सांस्कृतिक, धार्मिक, और आर्थिक महत्व को दर्शाता है। इसके व्यापार ने प्राचीन सभ्यताओं को जोड़ने में एक प्रमुख भूमिका निभाई।

शोध रपट स्पष्ट करती है कि लापीस लाजुली केवल एक कीमती पत्थर नहीं है, बल्कि यह प्राचीन समय के सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है।

रविवार, 8 दिसंबर 2024

Teaching is ultimately an act of hope: RACHEL JORGENSEN, Educator

Teaching is ultimately an act of hope.

रेचल ने यह बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द कहे हैं। इसमें कही गई बातों के अपने मायने हैं और वह चाहते हैं कि समाज को शिक्षा के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल हो सके। आइये इस संबंध में एक शोधपरक विवेचना उदाहरण सहित प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं।

रेचल जॉर्गेनसन द्वारा दिए गए इस कथन के गहन विश्लेषण के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की जा सकती है:

1. शिक्षा और आशा का संबंध:
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रेचल ने शिक्षा को "आशा का कार्य" कहा है। इसका मतलब है कि शिक्षा केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है; यह समाज को प्रेरणा और भविष्य की संभावनाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।

जब कोई शिक्षक पढ़ाता है, तो वह इस आशा के साथ पढ़ाता है कि उसके छात्र सीखेंगे और अपनी जिंदगी में कुछ नया करेंगे।

उदाहरण:
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कल्पना कीजिए, एक शिक्षक ने गरीबी में जी रहे बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया। वह यह सोचकर पढ़ाता है कि उनकी शिक्षा उन्हें गरीबी से बाहर निकाल सकती है। यह "आशा" का ज्वलंत उदाहरण है।

2. संघर्ष और सहानुभूति:
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रेचल का कहना है कि एक शिक्षक जब संघर्षरत छात्र के साथ काम करता है, तो वह यह आशा करता है कि वह छात्र के जीवन की दिशा बदल सके।

इसका अर्थ है कि शिक्षा केवल एक विषय को सिखाने से अधिक है; यह छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास का माध्यम भी है।

उदाहरण:
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एक शिक्षक ने एक असफल छात्र को यह सिखाने का प्रयास किया कि असफलता अंत नहीं है। वह उसे प्रेरित करता है कि जीवन में सफल होने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

3. निराशा और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता:
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रेचल इस बात को भी स्वीकार करती हैं कि शिक्षा प्रणाली में निराशा और नकारात्मकता का आकर्षण बहुत अधिक हो सकता है।

हालांकि, उन्होंने इसे एक दैनिक "चुनाव" के रूप में प्रस्तुत किया है। शिक्षक को हर दिन यह तय करना होता है कि वह निराशा में डूबने के बजाय आशा के साथ आगे बढ़ेगा।

उदाहरण:
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कोविड-19 महामारी के दौरान कई शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षण में चुनौतियों का सामना करते हुए भी अपने छात्रों की शिक्षा जारी रखने के लिए नए तरीके अपनाए। यह उनके आशावादी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

4. समाज के लिए संदेश:
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रेचल का यह कथन समाज को यह संदेश देता है कि शिक्षक केवल पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाते; वे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शिक्षकों को केवल शिक्षण में नकारात्मकता देखने के बजाय शिक्षा की शक्ति और प्रभाव को समझना चाहिए।

शोध दृष्टिकोण:
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मनोविज्ञान और शिक्षा पर किए गए शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण रखने वाले शिक्षक अपने छात्रों में आत्मविश्वास, जिज्ञासा और सफलता की भावना को बढ़ावा देते हैं।

शोध में यह भी पाया गया है कि संघर्षरत छात्रों के साथ सहानुभूति और सकारात्मक हस्तक्षेप उनके अकादमिक प्रदर्शन और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। (स्रोत: Journal of Educational Psychology)

रेचल जॉर्गेनसन का यह कथन न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो किसी के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना चाहता है।

Tag:-

#education #Rechal #Act_of_hope #hopeful #educator


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धन्यवाद !!!!!

लेखक:-
डॉ. प्रदीप सोलंकी 


विज्ञान शिक्षक, शिक्षाविद, प्राणिविद, पर्यावरणविद, ऐस्ट्रोनोमर, करिअर काउन्सलर, ब्लॉगर, यूट्यूबर, एवं पूर्व सदस्य  टीचर्स हैन्ड्बुक कमिटी सीएम राइज़ स्कूल्स एवं पीएम श्री स्कूल्स परियोजना तथा पर्यावरण शिक्षण समिति, माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल मध्यप्रदेश  

"Learning never exhausts the mind." - Leonardo da Vinci


गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

#Unidentified_Anomalous_Phenomena (UAP): #Unidentified_Flying_Objects (UFOs) की एक व्यापक श्रेणी

Unidentified Anomalous Phenomena (UAP): Unidentified Flying Objects (UFOs) की एक व्यापक श्रेणी 


"Two possibilities exist: Either we are alone in the Universe or we are not. Both are equally terrifying." ARTHUR C. CLARKE

Unidentified Anomalous Phenomena (UAP) का अर्थ उन घटनाओं या वस्तुओं से है जिन्हें वर्तमान वैज्ञानिकतकनीकीया मानवीय समझ के तहत स्पष्ट रूप से पहचाना नहीं जा सकता। पहले इन्हें आमतौर पर Unidentified Flying Objects (UFOs) के रूप में जाना जाता था। हाल के वर्षों मेंUAP शब्द का उपयोग किया गया है ताकि इन घटनाओं की एक व्यापक श्रेणी (जैसे वायुमंडलीयसमुद्रीया अंतरिक्षीय घटनाएँ) को शामिल किया जा सके।


UAP क्या हैं?

  • परिभाषा: UAP उन घटनाओं, वस्तुओं, या प्रकाशीय संरचनाओं को संदर्भित करता है जिनका व्यवहार, गति, या अन्य गुण पारंपरिक भौतिकी के नियमों के अनुसार समझाए नहीं जा सकते।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • उच्च गति और त्वरित दिशा परिवर्तन।
    • रडार और सेंसर में प्रकट होना लेकिन दृश्य रूप से नहीं दिखना।
    • पृथ्वी के वायुमंडल, समुद्र, या अंतरिक्ष में देखा जाना।
    • ऊर्जा के अज्ञात स्रोत या अप्रत्याशित विद्युत-चुंबकीय संकेत।

UAP कैसे प्रदर्शित होते हैं?

"There are two types of UFOs -- the ones we build and the ones "they" build." BEN RICH

1. दृश्य घटनाएँ

  • मानवों द्वारा आकाश में असामान्य चमकीली रोशनी देखी जाती है।
  • ये वस्तुएँ अचानक गायब हो सकती हैं या अप्रत्याशित गति से चल सकती हैं।

2. रडार और सेंसर रिकॉर्डिंग

  • पायलटों और सैन्य उपकरणों के रडार में वस्तुओं का पता चलता है, लेकिन वे परंपरागत पहचान प्रणाली (जैसे विमान या उपग्रह) से मेल नहीं खातीं।
  • कुछ घटनाओं में, इन वस्तुओं का व्यवहार भौतिकी के ज्ञात नियमों को चुनौती देता है।

3. समुद्री और उप-जल घटनाएँ

  • UAP को समुद्र के भीतर चलते हुए देखा गया है, जिसे Transmedium Phenomena कहते हैं (यानी, वस्तुएँ पानी और वायुमंडल दोनों में गति कर सकती हैं)।

4. विद्युत-चुंबकीय गड़बड़ियाँ

  • कुछ घटनाओं के दौरान आसपास के विद्युत उपकरण या वाहनों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

प्रमुख उदाहरण

1. Tic Tac UAP (2004): 

  • अमेरिकी नौसेना के पायलटों ने एक सफेद, गोलाकार UAP को देखा, जो तेज गति और दिशा में अप्रत्याशित बदलाव कर रहा था।
  • यह रडार और कैमरों में भी रिकॉर्ड हुआ।

2. USS Nimitz Encounter: 

  • सैन्य विमान वाहक पर सवार पायलटों ने एक उन्नत तकनीक जैसी वस्तु को देखा।
  • इसे इंसानों द्वारा बनाए गए किसी भी ज्ञात उपकरण से तेज़ और कुशल माना गया।

3. 2019 Navy Encounters: 


  • अमेरिकी नौसेना के जहाजों के आसपास कई अज्ञात वस्तुएँ देखी गईं। ये वस्तुएँ रडार पर रिकॉर्ड हुईं, लेकिन उनकी प्रकृति की पुष्टि नहीं हो सकी।

4. Pentagon Report (2021):

  • अमेरिकी सरकार ने कई UAP घटनाओं की रिपोर्ट दी, जिनमें से 143 घटनाएँ अज्ञात रहीं।

शोध और रिपोर्ट्स

1. NASA's UAP Independent Study Team Report (2023):

  • NASA ने UAP पर गहन शोध किया। उन्होंने सुझाव दिया कि UAP की कई घटनाएँ मानवीय या प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित हो सकती हैं, लेकिन कुछ अभी भी अज्ञात बनी हुई हैं।

2. Pentagon’s All-domain Anomaly Resolution Office (AARO):

  • अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक विशेष कार्यालय स्थापित किया है जो UAP के अध्ययन पर केंद्रित है।
  • इसका उद्देश्य वैज्ञानिक विश्लेषण और तकनीकी समझ विकसित करना है।

3. Project Blue Book (1952–1969):

  • अमेरिकी वायुसेना का एक ऐतिहासिक कार्यक्रम, जिसमें UFO की 12,618 रिपोर्टों का विश्लेषण किया गया। अधिकांश घटनाओं को प्राकृतिक कारणों से समझाया गया, लेकिन 701 रिपोर्टें अनसुलझी रहीं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

If aliens visit us, the outcome would be much as when Columbus landed in America, which didn't turn out well for the Native Americans.... We only have to look at ourselves to see how intelligent life might develop into something we wouldn't want to meet.

                                                                                                       - STEPHEN HAWKING


1. प्राकृतिक घटनाएँ:

  • कई UAP घटनाएँ वायुमंडलीय घटनाओं, जैसे बिजली, उल्का, या ऑप्टिकल भ्रम के कारण हो सकती हैं।

2. तकनीकी उपकरणों का हस्तक्षेप:

  • रडार या सेंसर की त्रुटियाँ।
  • विदेशी या गुप्त सैन्य तकनीक।

3. संभावित विदेशी जीवन:

  • कुछ वैज्ञानिक इस संभावना पर विचार करते हैं कि UAP घटनाएँ किसी उन्नत विदेशी प्रजाति के अन्वेषण का संकेत हो सकती हैं।

4. अज्ञात भौतिकी:

  • ऐसी वस्तुएँ जो ज्ञात भौतिकी के नियमों को चुनौती देती हैं, उनके लिए नई भौतिकी सिद्धांत की आवश्यकता हो सकती है।

प्रकाशित शोधपत्र और रिपोर्ट्स

  1. #NASA_UAP_Report (2023):
  2. #Pentagon_UAP_Report (2021):
    • इस रिपोर्ट में 144 घटनाओं का अध्ययन किया गया, जिनमें से अधिकांश का कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला।
  3. Scientific Coalition for UAP Studies (SCU):
    • यह संगठन UAP घटनाओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करता है और उनके शोध पत्र प्रकाशित करता है।
  4. Journal of Scientific Exploration:
    • यह जर्नल UAP और अन्य अनसुलझी घटनाओं पर गहन विश्लेषण प्रकाशित करता है।

भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

  • वैज्ञानिक उपकरणों का उन्नयन: नई तकनीकों की आवश्यकता है जो UAP घटनाओं को बेहतर ढंग से समझा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: UAP घटनाओं को समझने के लिए विभिन्न देशों और वैज्ञानिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा।
  • आधिकारिक पारदर्शिता: UAP की घटनाओं पर सरकारी पारदर्शिता अधिक अध्ययन और विश्लेषण को बढ़ावा देगी।

निष्कर्ष

Unidentified Anomalous Phenomena (UAP) ऐसी घटनाओं को संदर्भित करता है जिन्हें वर्तमान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के तहत समझाया नहीं जा सकता। ये घटनाएँ वायुमंडल, अंतरिक्ष, और समुद्र में देखी जा सकती हैं। हालांकि इनमें से कई घटनाओं के प्राकृतिक या मानवीय कारण हो सकते हैं, कुछ घटनाएँ आज भी अज्ञात और रहस्यमयी बनी हुई हैं। वैज्ञानिक और सरकारी संगठनों द्वारा इन घटनाओं का अध्ययन जारी है, और यह क्षेत्र भविष्य में नई भौतिकी और संभावित विदेशी जीवन के संकेतों की खोज के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

स्रोत-:  

1. NASA Website & Articles & Reports

2. Navy Times 

3. Some News websites

Tag:-

#nasa #ufo #UFOs #UAP #uap #unidentified_anomalous_phenomena #unidentified_flying_objects  #tic_tac #navyencounter #nimitz 


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